ॐ, मातृ देवो भव, पितृ देवो भव. वक्रतुंड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ. निर्विघ्नं कुरु में देव, सर्व कार्येषु सर्वदा. गं गणपतये नमः.लिखना पढ़ना पेशा भी है और शौक भी. जब से होश संभाला
ख़ुद को भइया नाम से पुकारते पाया. इलाहाबादी हूँ.जनम हो गया भैया इलाहाबादी का.
मुशायरे में कभी कभी बाहर जाना पड़ता है. चाहे लोक नाथ की भंग हो या फिर इलाहाबादी पत्रकारों कासंग. खूब भाता है.